Updated: May 1, 2017, 12:53 PM IST
भारतीय रेलवे अपने
कामकाज को और प्रभावी और पारदर्शी बनाने जा रहा है. रेलवे सबसे ज्यादा जोर
मालगाड़ी के डिब्बों, यात्री कोचों और इंजनों की सुरक्षा पर देगा. ट्रेन
के डिब्बों की निगरानी के लिए रेलवे रेडियो-आवृत्ति वाले पहचान टैग
(radio-frequency identification tags) का इस्तेमाल करेगा.
व्यापक तौर पर सूचना प्रौद्योगिकी (Broadly information technology) का इस्तेमाल करते हुए रेलवे ने सभी वैगन में आरएफआईडी टैग लगाकर इस प्रणाली की शुरुआत करने का निर्देश दिया है. रेलवे में मालगाड़ियों के करीब सवा दो लाख डिब्बे, यात्री गाड़ियों के 50,000 डिब्बे और 90,000 इंजन हैं. रेलवे ने इस प्रणाली के पहले चरण के लिए 57 करोड़ रुपए का आवंटन किया है.
रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र (सीआरआईएस) द्वारा डिजाइन किए गए टैग की अनुमानित कीमत 1000 रुपए प्रति टैग हो सकती है. आरएफआईडी उपकरणों का इस्तेमाल करके रेलवे के लिए यह पता लगाना आसान होगा कि उसके डिब्बे और इंजन की स्थिति क्या है. आरएफआईडी टैग डिब्बों में लगाये जाएंगे. वहीं पटरियों पर इनकी स्थिति का पता लगाने वाले उपकरण स्टेशनों पर लगाए जाएंगे.
इस तरह से हर डिब्बे का पता लगाया जा सकता है और उसकी आवाजाही पर निगरानी रखी जा सकती है. रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार आरएफआईडी के इस्तेमाल से रेलवे में वैगन, कोच और इंजनों की कमी की समस्या को और अधिक पारदर्शी किया जा सकेगा. इन टैग की कार्यावधि 25 साल तक होगी.
व्यापक तौर पर सूचना प्रौद्योगिकी (Broadly information technology) का इस्तेमाल करते हुए रेलवे ने सभी वैगन में आरएफआईडी टैग लगाकर इस प्रणाली की शुरुआत करने का निर्देश दिया है. रेलवे में मालगाड़ियों के करीब सवा दो लाख डिब्बे, यात्री गाड़ियों के 50,000 डिब्बे और 90,000 इंजन हैं. रेलवे ने इस प्रणाली के पहले चरण के लिए 57 करोड़ रुपए का आवंटन किया है.
रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र (सीआरआईएस) द्वारा डिजाइन किए गए टैग की अनुमानित कीमत 1000 रुपए प्रति टैग हो सकती है. आरएफआईडी उपकरणों का इस्तेमाल करके रेलवे के लिए यह पता लगाना आसान होगा कि उसके डिब्बे और इंजन की स्थिति क्या है. आरएफआईडी टैग डिब्बों में लगाये जाएंगे. वहीं पटरियों पर इनकी स्थिति का पता लगाने वाले उपकरण स्टेशनों पर लगाए जाएंगे.
इस तरह से हर डिब्बे का पता लगाया जा सकता है और उसकी आवाजाही पर निगरानी रखी जा सकती है. रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार आरएफआईडी के इस्तेमाल से रेलवे में वैगन, कोच और इंजनों की कमी की समस्या को और अधिक पारदर्शी किया जा सकेगा. इन टैग की कार्यावधि 25 साल तक होगी.
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