भारत के तटवर्ती इलाक़ों में सुनामी चेतावनी सिस्टम के अब तक के सबसे बड़े अभ्यास में हज़ारों लोगों को तटवर्ती इलाक़ों से हटाया जा रहा है.
यह अभ्यास बुधवार की सुबह शुरू हुआ और सुनामी अर्ली वार्निंग सेंटर के निदेशक सतीश शिनॉय के अनुसार दोपहर तक ओडिशा, आंध्र प्रदेश, और तमिलनाडु के तटवर्ती इलाक़ों के कई गांवों को पूरी तरह ख़ाली करवा लिया गया.
यह अभ्यास दो दिनों तक चलेगा. वर्ष 2004 में हिंद महासागर क्षेत्र में आई सुनामी में भारत समेत कई देशों के तटवर्ती इलाक़ों में बसे तीन लाख लोगों की मौत हो गई थी.
बीबीसी से बात करते हुए सतीश शिनॉय ने कहा, "अकेले ओडिशा के तटवर्ती इलाक़ों से ही तीस हज़ार लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है. इनमें भद्रक, गंजम, केंद्रापाड़ा, बालासोर, पुरी और जगतसिंहपुर ज़िले शामिल हैं. इनके 22 प्रखंडों के 328 गाँव इस अभ्यास में शामिल हैं. उसी तरह आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में भी ये अभ्यास किया जा रहा है."
भारत सरकार के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के सदस्य कमल कुमार का कहना है कि पांच नवंबर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुनामी को लेकर अभ्यास होने वाला है. उनके मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय अभ्यास के पहले अलग अलग देश अपने स्तर पर अभ्यास कर रहे हैं.
अभ्यास की प्रमुख बातें:
- दो दिनों के इस अभ्यास में कुल 23 देश शामिल हो रहे हैं.
- बुधवार की सुबह स्थानीय समय 8.30 बजे इंडोनीशिया के सुमात्रा के पास रिक्टर स्केल पर 9.2 की तीव्रता के भूकंप का अलर्ट जारी किया गया.
- भूकंप के बाद भारत के 'सुनामी अर्ली वार्निंग सेंटर' ने अलर्ट जारी किया कि सुनामी की ज़बरदस्त लहरें अंडमान और निकोबार द्वीप से टकराने वाली हैं.
- यह भी अलर्ट जारी किया गया कि सुनामी की लहरें भारत के पूर्वी तट से भी टकराएंगी. ख़ास तौर पर ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तमिल नाडु के तट पर.
- यह अभ्यास संयुक्त राष्ट्र की संस्था 'यूनेस्को' संचालित कर रहा है.
- इस अभ्यास में भारत का विज्ञान मंत्रालय, गृह मंत्रालय, आपदा प्रबंधन संस्थान और कई राज्य सरकारें भी शामिल हैं.
AFP
सतीश शिनॉय का कहना है कि सुनामी का यह अभ्यास गुरुवार को भी जारी रहेगा जिसमें भारत के पश्चिमी तट को शामिल किया जाएगा.
उनका कहना है इस दौरान ईरान और पकिस्तान के दक्षिणी छोर पर रिक्टर स्केल पर 9 की तीव्रता वाले भूकंप का अलर्ट गुरुवार को जारी किया जाएगा.
'सुनामी अर्ली वार्निंग सेंटर' के निदेशक का कहना है कि भारत के 7500 किलोमीटर तक फैले तटीय इलाक़े सुनामी के खतरे के लिए संवेदनशील माने जाते हैं.
इसलिए इस तरह के अभ्यास लोगों को पहले से सचेत रहने में मदद करेंगे ताकि सुनामी के टकराने से पहले ही लोग सुरक्षित स्थानों पर चले जाएँ.
आपदा प्रबंधन संस्थान का कहना है कि अभ्यास में ज़िले में सभी स्तर के अधिकारियों को शामिल किया गया है.
महानगरी चेन्नई और मुम्बई के पूरे प्रशानिक अमले के लोग भी इसमें शामिल हैं.
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