हम सभी जानते हैं कि व्यायाम करना सेहत के लिए अच्छा होता है. लेकिन अक्सर हम हफ़्ते में क़रीब 150 मिनट का हल्का व्यायाम भी नहीं कर पाते हैं, जो कि ज़रूरी बताया जाता है. तो फिर इसका विकल्प क्या है?
कुछ दिन पहले एक डाक्यूमेंट्री 'द ट्रूथ अबाउट एक्सरसाइज़' बनाते हुए माइकल मोसली को चौंकाने वाली कुछ बातों का पता चला.
नॉटिंघम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने माइकल का परिचय कराया 'एचआईआईटी' या हाई इंटेसिटी इंटरवल ट्रेनिंग से. यह बहुत कम समय के लिए कठोर साइक्लिंग या एक्सरसाइज़ बाइक पर व्यायाम का एक तरीक़ा हैं.
एचआईआईटी से लोगों को कम समय में ज़्यादा फ़ायदा होता है. लेकिन व्यायाम के दूसरे तरीक़ों के मुक़ाबले यह कितना बेहतर है. चलिए इसे जानने की कोशिश करते हैं.
यहां डॉक्टर बेथ फ़िलीप्स ने 40 से 60 साल की उम्र के 24 लोगों को चार समूहों में बांटा. ये सभी लोग कम शारीरिक मेहनत वाली जीवन शैली से जुड़े हैं.
इनमें से पहले ग्रुप को सप्ताह में 150 मिनट के लिए टहलने जैसा कुछ हल्का व्यायाम करने को कहा गया.
दूसरे ग्रुप को नियंत्रित तरीक़े से एक लैब में ख़ास बाइक पर, एचआईआईटी करने को कहा गया. पहले ग्रुप के विपरीत इन्हें सप्ताह में केवल 15 मिनट तक यह काम करने को कहा गया.
तीसरे ग्रुप को घर पर ही एचआईआईटी करने को कहा गया. उन्हें बिना किसी ख़ास उपकरण के, कसरत, कूदना- फांदना या पहाड़ियों पर चढ़ने जैसा काम करने को कहा गया.
लेकिन लैब और घर पर एचआईआईटी करने वालों को सप्ताह में तीन बार ऐसा करने को कहा गया.
जबकि चौथे ग्रुप को ग्रिप एक्सरसाइज़ करने को कहा गया. यह एक तरह से टेनिस बॉल को मुट्ठी में दबाने जैसा काम है.
इस प्रयोग से पहले हर किसी का ब्लड प्रेशर मापा गया. इसके लिए उनकी कुछ और शारीरिक जांच भी की गई.
एक महीने के बाद उन सभी की जांच की गई और जानने की कोशिश की गई कि इसका क्या असर हुआ है.
ज़्यादातर लोगों ने तो अपना अपना काम कर लिया, लेकिन जिन्हें सप्ताह में 150 मिनट का हल्का व्यायाम करने को कहा गया, उनमें से कुछ लोग अपनी व्यस्त दिनचर्या से यह समय नहीं निकाल पाए.
अब बात करते हैं पॉल की. इस दौरान एक महीने में पॉल का वज़न भी कम हुआ और पीठ के दर्द में भी आराम मिली. वो बताते हैं, "मैं हर रोज़ चार घंटे तक कार में सफ़र करता हूं और एक बड़ा व्यवसाय चलाता हूं. इसके फ़ायदों को देखकर मैं हैरान हूं."
इस प्रयोग में मदद करने वाले डॉक्टर बेथ फ़िलीप्स इस पूरे प्रयोग से मिले परिणाम से काफ़ी ख़ुश हैं.
उन्होंने बताया, "जिन लोगों ने प्रयोगशाला में एचआईआईटी किया उनका 'वीओ2 मैक्स' 17 फ़ीसदी तक बेहतर हुआ, जो कि बहुत बड़ा है. यह बहुत ही ख़ास सुधार है. दूसरे पायदान पर वो लोग रहे जिन्होंने घर पर ही एचआईआईटी किया, उन लोगों में 12 फ़ीसदी तक सुधार आया."
उनका कहना है कि 'वीओ2 मैक्स' में 12 फ़ीसदी तक सुधार ऐसा है, जिसकी कल्पना आप मुश्किल से पारंपरिक और धीमे ट्रेनिंग में कर सकते हैं.
वीओ2 मैक्स ही बताता है कि किसी इंसान का हृदय और उसके फेफड़ों में कितनी ताक़त है.
कुल फ़िटनेस की बात करें तो लैब में और घर पर एचआईआईटी करने वाली टीम, हल्के व्यायाम करने वाली टीम से काफ़ी उपर रही.
लेकिन शायद सबसे चौंकाने वाला नतीजा हैंड ग्रिप ग्रुप की तरफ़ से आया.
बेथ कहते हैं, "केवल यही ग्रुप था, जिनके ब्लड प्रेशर में अच्छी ख़ासी कमी आई."
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