KULDEEP BANGARI NIM
केदारनाथ मंदिर और उसके आस-पास के इलाक़ों की सुरक्षा अब एक तीन-स्तरीय दीवार तैयार हो रही है.
2013 में पहाड़ में ऊंचाई पर भारी बारिश से मंदाकिनी में बाढ़ आ गई थी और नदी रास्ता बदलकर केदारनाथ की तरफ़ आ गई थी.
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आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार पानी और उसके साथ आए मलबे की चपेट में आकर साढ़े पांच हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी, करीब साढ़े चार हज़ार घायल हो गए थे और पांच लाख लोग सीधे या अप्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित हुए थे.
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ऐसी आपदा फिर न हो इसे रोकने के लिए एक तीन-स्तरीय दीवार बनाई जा रही है. इस काम की ज़िम्मेदारी है नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के पास है. एनआइएम के सोनप्रयाग बेस कैंप के इंचार्ज मनोज सेमवाल ने बताया कि यह प्रोजेक्ट नब्बे फ़ीसदी पूरा हो चुका है.
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पहली दीवार मंदाकिनी और सरस्वती नदी के रास्ते को सुरक्षित करने के लिए बनाई गई है. 2013 में मंदाकिनी रास्ता बदलकर केदारनाथ मंदिर की तरफ आ गई थी. ए शेप की यह दीवार पत्थरों से बनाई गई है और इसे गैबिन वॉल कहते हैं.
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यह गैबिन वॉल पानी को नीचे मंदिर की ओर आने से रोकने के लिए तैयार की गई है. अगर पानी बहुत अधिक तेज़ होगा तो यह उसके वेग को कम कर देगी.
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दूसरी दीवार छह मीटर की रॉकनेट जाली है जो दो मीटर ज़मीन के अंदर और चार मीटर बाहर है. यह दीवार पानी में आने वाले बड़े बोल्डरों को रोक देगी.
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2013 की आपदा में सबसे ज़्यादा नुक़सान पानी के साथ बड़े पत्थरों से ही हुआ था. एक जापानी कंपनी द्वारा बनाई गई यह रॉकनेट इको फ्रेंडली है.
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रॉकनेट को पार कर जो पानी आ जाएगा उसे अर्ध-अंडाकार तीसरी दीवार डायवर्ट कर देगी और पानी एक ओर मंदाकिनी और दूसरी ओर सरस्वती में चला जाएगा. 350 मीटर लंबी और छह मीटर ऊंचाई की यह दीवार पूरी तरह कंक्रीट की बनी हुई है और दो मीटर ज़मीन के अंदर और चार मीटर बाहर है.
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